क्या आप जानते हैं मोदी अपनी तन्हाई में वसीम बरेलवी का कौन सा शेर पढ़ते होंगे? वो पढ़ते होंगे - “उतरना आसमानों से तो कुछ मुश्किल नहीं लेकिन ज़मीं वाले ज़मी पर फिर मुझे रहने नहीं देंगे” जानते हैं क्यों? क्योंकि पीएम मोदी अपने कद से नीचे उतर ही नहीं सकते। वो सैनिक से लेकर वैज्ञानिक और साहित्यकार से लेकर टेक गुर तक दिखने की कोशिश करते हैं। हर हर मोदी - घर घर मोदी - इस नारे ने मोदी को घरों तक तो नहीं पहुँचाया पर एक ऐसे स्थान पर ज़रूर बिठा दिया जहाँ उनके समकक्ष कोई नहीं। कोई वैज्ञानिक उनसे ज्ञानवान नहीं, कोई सैनिक उनसे पराक्रमी नहीं और कोई नागरिक उनसे निष्ठावान नहीं। मोदी, मोदियाबिंद से ग्रस्त हो गए हैं। और उनका यह मोदियाबिंद लोकतंत्र को औंधे मुँह गिरा रहा है - हर कदम पर। Read more: चौकीदारों के रहते नौकरियों की डकैती कैसे हो गई? 15 अगस्त, 1995, Videsh Sanchar Nigam Limited (VSNL) लोगों के लिए इंटरनेट सेवा शुरू करता है लेकिन हमारे पीएम 1987-88 में ही एक फोटोग्राफ ई-मेल से भेज चुके होते हैं। 1990 के दौर में उनके पास एक टैब होता है जिस पर वो कुछ लिखते हैं। ये अलग...