उत्तराखंड में एकबार फिर से जल महाप्रलय आया है। इस आपदा में कम से कम 200 लोगों के मारे जाने की आशंका है। हजारों लोगों के फंसे होने की खबर है। पहाड़ी राज्यों में बार-बार आती त्रासदी बताती है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। विकास के नाम पर संतुलन खराब करके किसी एक को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जाएगी तो नतीजा मौत और तबाही के रूप में ही सामने आएगा। यह भी पढ़ें - World Cancer Day : चौथे स्टेज पर पहुंच चुका कैंसर का मरीज क्या सोचता है? विकास के नाम पर प्रकृति से खिलवाड़ किसको फायदा पहुंचाने के लिए सरकार कर रही है वह सभी को पता है। अगर आप वैज्ञानिक सोच वाले हैं तो तुरंत पहुंच जाएंगे कि आपदा की वजह क्या है। अगर आप आस्तिक हैं तो ये विचार करिए कि आखिर प्रकृति आम लोगों से नाराज क्यों हैं? क्या इंसानों पर हो रहे जुल्म से नाराज है? भगवान तो सबसे ज्यादा इंसानों से प्रेम करते हैं फिर उन्हें ऐसा दुख क्यों देंगे? क्या ऐसी घटनाएं सबक सिखाने के लिए होती हैं? उत्तराखंड 2013 के महाप्रलय को अभी भूला नहीं होगा। 35 स्टेट हाईवे, 13 नेशनल हाईवे, 172 छोटे बड़े पुल, 2385 जिला व ग...