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Showing posts from March 15, 2021

Entrance Exam में भी GST लगाकर गरीबों को उच्च शिक्षा से दूर कर रही मोदी सरकार?

  क्या भारत बिना शिक्षा के विश्व गुरु बन सकता है? अगर ऐसा नहीं तो फिर उच्च शिक्षा को हर दिन महंगा क्यों किया जा रहा है? ये जानते हुए कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बड़ी संख्या में छात्र उच्च शिक्षा हासिल करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। क्या इससे ये मान लिया जाए कि सरकार मान चुकी है कि हम वाट्सऐप यूनिवर्सिटी के जरिए ही लोगों को शिक्षित कर देंगे। ताजा उदाहरण नीट-पीजी की परीक्षा का है।    यह भी पढ़ें:  SSC GD - 2018 Protests - लाठीचार्ज में टूटा हाथ, अभ्यर्थी ने कहा - हाथ टूटा है, हौसला नहीं     नीट का एंट्रेंस टेस्ट नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन यानी एनबीई करवाता है। पिछले साल जिन छात्रों ने इसका टेस्ट दिया उन्हें फार्म के लिए 3750 रुपए देने पड़े थे। इस बार जो छात्र इस टेस्ट में बैठना चाहते हैं उन्हें उसी परीक्षा के लिए 4250 रुपए देने पड़ेंगे। सिर्फ यही नहीं बल्कि इसबार जीएसटी लगा दिया गया है। इस टेस्ट में शामिल होने वाले छात्रों को जीएसटी भी चुकाना होगा। यानी समान्य और पिछड़े वर्ग के छात्र 5,015 रुपए एससी-एसटी के छात्र 3,835 रुपए जमा करने के बाद इस परीक्षा में बैठ पाएंगे।    यह भ

बंगाल चुनाव: राजनैतिक हत्याओं का बंगाल चुनाव से क्या लिंक है!

  अस्पताल के बेड पर प्लास्टर से बंधे पैर के साथ ममता बनर्जी की तस्वीर बंगाल चुनावों को लेकर चल रही तमाम चिंताओं को सही साबित कर रही है। नफ़रत और हिंसा से भरे चुनाव प्रचार और अभूतपूर्व ध्रुवीकरण की आशंका इन चुनावों के साथ जुड़ी हुई है।   यह कहना ग़लत नहीं होगा कि   मौजूदा वक्त में ममता बनर्जी , बीजेपी के खिलाफ खड़ी सबसे मजबूत ताकतों में से एक है और पश्चिम बंगाल बीजेपी का सबसे बड़ा सपना। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को केवल 3 सीटें हासिल हो पाईं थीं। लेकिन लोकसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। 42 सीटों में से 18 सीटें हासिल की बीजेपी ने और वोट शेयर के मामले में तृणमूल काग्रेस से केवल 3.05% कम वोट हासिल किए। बीजेपी की कोशिश यही रहेगी कि आगामी विधानसभा चुनावों में पिछले विधानसभा चुनावों के परिणामों की झलक न दिखे जबकि ममता हर कीमत पर लोकसभा चुनावों के परिणामों की झलक को ख़त्म कर देना चाहेंगी।   बंगाल- राजनैतिक समीकरण   पश्चिम बंगाल के 294 सीटों में से 165 सीटें ऐसी हैं जहाँ पर किसी एक तबके का अधिक प्रभाव है। लगभग 55 सीटों पर अल्पसंख्यकों का वर्चस्व है, वहीं 55 सीटें ऐसी है