मीडिया का वास्तविक काम बिना किसी लाग-लपेट के लोगों तक सूचना पहुंचाना है। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से इसके स्वरुप में व्यापक बदलाव आए हैं। सूचना के बजाय एक विचार भी लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं। यहां तक तो ठीक था लेकिन धीरे धीरे सुनियोजित तरीके से एक विचारधारा पर हमला हुआ। सोच को कुंद करने की कोशिश शुरु हो गई। ताज्जुब की बात ये कि इसमें भी मीडिया के तमाम संस्थान सफल रहे। रिपब्लिक भारत ने तो टीआरपी की जंग में खुद को सबसे ऊपर खड़ा कर लिया। ताजा मामला सुदर्शन टीवी से जुड़ा है। कहने को तो ये न्यूज चैनल है लेकिन इस पर वही न्यूज चलती है जिसमें सरकार से सवाल न पूछे जाए। जनता से जुड़े सरोकार का तो कोई मतलब ही नहीं। मतलब है तो बस नफरत से। जी हां नफरत से। चैनल के प्रमुख सुरेश चव्हाणके बिंदास बोल के जरिए लोगों के सामने आए मुद्दों को लेकर आते हैं जिसे समाज की शांति और एकता पर कुठाराघात करता हो। जो मुसलमानों को कठमुल्ला कहकर संबोधित करता हो उससे भला शांति की अपील कैसे की जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के बिंदास बोल के जरिए प्रसारित होने वाले UPSC जिहाद पर रोक लगा दी।...