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Showing posts from January 21, 2020

ज़रूरत ख़त्म, इसलिए गिरफ़्तार हुआ दविंदर?

26 जनवरी से ठीक 15 दिन पहले यानि 11 जनवरी को कुछ ऐसा हुआ जो शायद बहुत पहले हो जाना चाहिए था। क्या जानबूझ कर मामले को नज़र अंदाज़ किया जा रहा था, क्या सबूतों का अभाव था या,कोई और दबाव था? वैसे अगर सोचने बैठ जाएं तो सवालों का ज़ख़ीरा खड़ा हो जाएगा जिसे भेद पाना शायद मुश्किल हो. 11 जनवरी को जम्मू कश्मीर की पुलिस बैरिकेडिंग   लगाकर चेकिंग कर रही थी। उसी समय कुछ ऐसा होता है जिससे पुलिस की आँखें खुली की खुली रह जाती हैं. उसके 2 कारण थे: पहला कि उन्हें कभी लगा नहीं था कि हिजबुल के आतंकवादी इतनी आसानी से उनके हाथ लग जाएंगे. ये दोनों हिजबुल के कमांडर नवीद बाबा और अल्ताफ थे जो कश्मीर पुलिस के निशाने पर कई दिनों से थे और उनके साथ इरफ़ान भी था जो पेशे से तो वकील है लेकिन वकालत आतंकवाद की करता था.  यह भी पढ़ें:  जामिया प्रोटेस्ट - पुलिस ने लाइब्रेरी में की हिंसा, हमने सड़क पर बना ली लाइब्रेरी! दूसरा जिसके नाम की सनसनी पूरे देश में फैली हुई है, जिसने खाकी रंग को दाग दाग कर दिया; पुलिस के डीएसपी दविंदर सिंह। सिंह श्रीनगर एयरपोर्ट के एंटी हाई जैकिंग स्क्वाड का हिस्सा थ