Skip to main content

Posts

Showing posts from November 5, 2020

मथुरा मंदिर में फैजल खान की नमाज से भड़कने वाले धार्मिक अंधे हो चुके हैं!

  देश की पूरी राजनीति हिन्दू-मुसलमान के बीच बंट गई है। मीडिया का बड़ा हिस्सा भी स्कूल-कॉलेज के बजाय मंदिर-मस्जिद में ही जुटा रहता है।   29 अक्टूबर को मथुरा के नंद बाबा मंदिर   में चार लोग आए, मंदिर के पुजारी से मौखिक इजाजत ली और नमाज अदा किया। 2 नवंबर को उनके नमाज पढ़ने की फोटो सोशल मीडिया पर आई तो हायतौबा मच गया। थोड़ी ही देर में घटना को सियासी रंग से रंग दिया गया। यूपी पुलिस हरकत में आई और उसने   फैसल खान के खिलाफ धारा 153A, 295, 505 के तहत बरसाना थाने में FIR दर्ज कर ली । ये शिकायत मंदिर प्रशासन की ओर से दर्ज करवाई गई है। शिकायत में कहा गया कि फोटो डालने से हिन्दू समुदाय की भावनाएं आहत हुई है, आस्था को गहरी चोट पहुंची है।   अपराध पर पुलिस भले देर से जागती हो लेकिन इस मामले में वह तुरंत सक्रिय हुई और फैसल को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद फैसल ने कहा, उन्होंने   धोखे से नमाज नहीं पढ़ी बल्कि सबके सामने नमाज पढ़ी । साथ में दो हिन्दू साथी भी थे। किसी ने भी मना नहीं किया। फैसल ने कहा, अगर कोई रोकता तो हम वहां नमाज ही न पढ़ते। हमने तो सद्भावना के लिए नमाज पढ़ी थी। FIR को लेक

अर्णब पर हमला पत्रकारिता पर हमला नहीं, वह अपने किए को भुगत रहे हैं

  4 नवंबर को रिपब्लिक टीवी के   एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी गिरफ्तार   क्या हुए भाजपा के नेताओं ने इसे पत्रकारिता पर हमला बताना शुरु कर दिया। सोशल मीडिया पर I stand with arnab जैसे तमाम हैसटैग ट्रेंड होने लगे। जबकि इस गिरफ्तारी का पत्रकारिता से कोई मतलब ही नहीं है। ये गिरफ्तारी तो अर्णब के फ्रॉड और इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक व उनकी मां कुमुद नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने को लेकर हुई है।   अर्णब की गिरफ्तारी पत्रकारिता पर हमला नहीं   है। पत्रकारिता पर हमला क्या है वो हम आपको बताते हैं। पिछले साल यूपी के मिर्जापुर में एक प्राइमरी स्कूल में मिड डे मील में बच्चों को नमक रोटी दी गई। पत्रकार पवन जैसवाल ने इसपर रिपोर्ट की। योगी सरकार की किरकिरी हुई तो उन्होंने पवन के ही खिलाफ केस दर्ज कर दिया। पत्रकारिता पर हमले का दूसरा उदाहरण सुनिए। पिछले महीने बलरामपुर में लड़की के साथ रेप हुआ, पुलिस ने पोस्टमार्टम के तुरंत जबरन अंतिम संस्कार करा दिया। पत्रकारों ने इसपर रिपोर्ट छापी तो उनको नोटिस थमा दिया गया। एक अधिकारी ने धमकाते हुए कहा, बिना पोस्टमार्टम खबर चलाने की क्या जल्दी थी।    अर्णब की गिरफ्ता