आँकड़ों के लिहाज से देश के सर्वाधिक लोकप्रिय शीर्षस्थ नेताओं में से एक नरेंद्र मोदी आज प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। संयोग है कि आज हिंदी पत्रकारिता दिवस भी है। ट्विटर आजकल जानकारियों का मुख्य स्रोत बना हुआ है। पीएम के शपथ समारोह के कारण ट्रेंडिंग सूची में हिंदी पत्रकारिता दिवस दिखा नहीं। यद्यपि दिवस वगैरह देश की सरकार निर्माण से अधिक महत्वपूर्ण होते नहीं फिर भी मीडिया संस्थान का जो अवमूल्यन विगत वर्षों में हुआ है वह सोचनीय है। इसलिए, इस दिवस की महत्ता बढ़ गई है। यहाँ भी देखें : मोदी की जीत के साथ बढ़े मुस्लिमों पर हमले मोदी जी, लोकतांत्रिक व्यवस्था की एक बड़ी कमी ये भी है कि बहुमत चाहे तो विपक्ष को शून्य कर सकता है। विपक्ष की शून्यता शुरुआत में लोगों को अपनी जीत लगती है। लेकिन कालांतर में उन्हें अहसास होता है कि विपक्ष का शून्य हो जाना दरअसल उनका शून्य हो जाना है। अब क्योंकि संवैधानिक व्यवस्था में ऐसा होने की संभावना है इसलिए मीडिया को चिरविपक्ष कहा गया। अभिप्राय ये है कि अगर राजनैतिक विपक्ष खत्म भी हो जाता है तो एक संस्थान ऐसा होगा जो विपक्ष में बैठा होगा। यह संस्थान ल...