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Showing posts from January 13, 2021

SC ने किसानों की समस्या का हल निकालने के लिए बनाई 4 सदस्य कमेटी, जानें-कौन हैं शामिल और क्या होंगे काम

  केंद्र सरकार के द्वारा किसानों के हक के लिए तीन कृषि कानून लाए गए, जिनके विरोध में किसान लगातार दिल्ली की तमाम सीमाओं पर प्रर्दशन कर रहे हैं. किसान लगातार सरकार से इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार किसानों की मांग सुनने को तैयार नहीं है. सरकार कानूनों को किसान हितैषी बता रही है कह रही है कि आने वाले दिनों में किसानों को इस कानून से काफी फायदा होगा   जैसा कि आप जानते हैं   किसान आंदोलन   की ये आग विदेशों तक जा पहुंची और मोदी सरकार के इस कानून की  निंदा की गई, लेकिन अपने अंहकार में डूबी मोदी सरकार ने किसी की नहीं सुनी ख़ैर किसानों की समस्या का हल निकालने के लिए बैठकों का दौर शुरू हुआ, अब तक सरकार और किसानों के बीच 9 दौर की बैठक हो चुकी हैं, इन बैठकों में  सरकार किसानों की मांग मानने को तैयार नहीं है, वहीं किसान सरकार के इस अंहकार को तोड़ने की पूरी कोशिश कर रही हैं. इन बैठकों में किसानों की 4 समस्याओं में से 2 पर सरकार अपनी सहमति दे चुकी है.   जिसमें इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020,   दूसरा पराली प्रदूषण   के नाम पर किसानों से जो करोड़ों रुपये के जुर्माने का प्रावधा

पहले बिना मांगे कानून बनाया अब बिना मांगे कमेटी बना दी, क्या सरकार व सुप्रीम कोर्ट किसानों का भला चाहते हैं?

  11 जनवरी को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने के साथ साथ एक कमेटी का गठन कर दिया है, ये   कमेटी   सरकार और किसानों के बीच जारी विवाद को समझेगी और अगले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस   कमेटी में कौन लोग है   इसके बारे में हम आपको बाद में बताएंगे, पहले कुछ सवाल जो इस फैसले की मंशा पर सवाल खड़े करते हैं।    11 जनवरी को जब पहली बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई तो   चीफ जस्टिस अरविंद बोबड़े ने सरकार से कहा   था कि आंदोलन को लेकर आपका रवैया गलत है, अगर आप कुछ नहीं कर सकते तो हमें कुछ करना होगा। असल में यही सबसे बड़ा पेच फंस गया, 11 जनवरी की शाम को किसानों ने प्रेस रिलीज जारी करके अपना मत स्पष्ट कर दिया। किसानों ने कहा- हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं कि उन्होंने किसानों की समस्या को संज्ञान लिया। लेकिन किसानों ने ये भी कहा, कि हमारी लड़ाई सरकार से है, हम किसी तरह की   मध्यस्थता नहीं चाहते , मतलब किसान सुप्रीम कोर्ट से किसी तरह की राहत मिले इसका भी पक्षधर नहीं है, उनका कहना

पाकिस्तान द्वारा Balakot Airstrike में 300 लोगों के मरने की बात कबूलने की न्यूज निकली फेक, अब माफी मांगने में जुटी गोदी मीडिया

  मेरा नाम राजेश है। इसलिए मुझे रमेश या रितेश न कहा जाए। मेरे ऐसा कहने से लोग मान जाएंगे लेकिन भारतीय मीडिया नहीं मानेगा। इसने अगर रितेश कह दिया तो अपना नाम रितेश ही मान लो। 10 जनवरी एक हवा उड़ी, हवा ये कि   पाकिस्तान ने कबूल कर लिया कि सर्जिकल स्ट्राइक में उसके 300 लोग मारे गए । ये खबर जैसे ही सीमा पार करके भारत में पहुंची,   देश की धीर-वीर गंभीर मीडिया   ने लपक लिया। जितनी तेजी से लपका उतनी ही तेजी से उसे अबोध जनता की तरफ फेंक दिया गया।    सर्जिकल स्ट्राइक   कबूलने की बात जैसे ही सामने आई भाजपा समर्थकों की तो निकल पड़ी। मोदी मोदी मोदी। मेरा मोदी मेरा अभिमान। ये सब चल ही रहा था कि कुछ फैक्ट चेकर्स ने जश्न मना रहे लोगों को जैसे पीछे से धप्पा मार दिया हो। एक झटके मेें सारी हवा फुस्स हो गई। दरअसल हुआ ये था कि समाचार एजेंसी एएनआई ने एक आर्टिकल लिखा, जिसमें उन्होंने दावा किया कि पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक   जफर हिलाली ने 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक में 300 मौतों को स्वीकार किया है ।    एएनआई ने इस खबर के साथ एक वीडियो क्लिप लगाई थी, जिसमें फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई। छेड़छाड़ की पुष्टि जफर हिल