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Showing posts from May 6, 2020

लॉकडाउन : प्रवासी मजदूरों को वापस बुलाने को लेकर इतना बेबस क्यों हैं सुशासन बाबू?

सोशल मीडिया पर सूरत का एक वीडियो देखा, जिसमें बिहार के कुछ मजदूर एक जगह इकट्ठा हैं उसमें एक मजदूर घर वापसी को लेकर बिहार सरकार से अपील करता है, पहले वह अपने खाने, रहने और नौकरी के जाने की बात करता है फिर वह सीएम नीतीश कुमार को गाली देता है, गाली देते वक्त पर यही कहता है कि जब सारे राज्यों की सरकारें अपने लोगों को वापस बुला रही है तो नीतीश कुमार क्यों नहीं बुला रहे। इसके बाद वह लगातार गालियां देता है, बाद में नाम और मोबाइल नंबर भी बताता है।    यह भी पढ़ें:  कोरोनावायरस- एक बीमारी, हजारों मौतें, बढ़ती चिंताए, सहमे लोग   महज एक वीडियो ही नहीं ऐसे तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर भरे पड़े हैं जिसमें बिहार के मजदूर सरकार से घर पहुंचाने की बात कर रहे हैं लेकिन सरकार इन्हें जहां है वहीं रहने को कहते हुए एक हजार रुपए की नाकाफी मदद की बात कहती है। चुनावी वर्ष होने के बावजूद भी सरकार आखिर अपने लोगों के लिए आगे आकर क्यों मदद नहीं कर पा रही है, इसे लेकर अनेक तर्क दिए जा रहे हैं।    स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और महामारी का डर  बिहार की पृष्ठभूमि से आने वाले नीरज झा कहते हैं कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्

कोरोना महामारी के दौरान भी जारी है एक्टिवस्ट्स को दबाने की मुहिम!

देश कोरोना से जंग लड़ रहा है और दिल्ली पुलिस दलविशेष के राजनैतिक पूर्वाग्रहों के कारण दुश्मन माने जा चुके लोगों के खिलाफ जंग को एक नए आयाम तक पहुँचा रही है। मीरान हैदर, सफूरा ज़रगार, गौहर गिलानी, मसरत जहाँ, उमर ख़ालिद, ख़ालिद सैफ़ी, साबु अंसारी आदि - ये वो नाम हैं जिन्हें एंटी-टेरर लॉ के के तहत या तो गिरफ्तार किया गया है या नामज़द। यह भी पढ़ें:  कोरोनावायरस- एक बीमारी, हजारों मौतें, बढ़ती चिंताए, सहमे लोग गौहर गिलानी और मसरत जहाँ कश्मीरी जर्नलिस्ट्स हैं। उन पर   UAPA   का कारण उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स हैं। बाकियों पर दिल्ली में दंगा भड़काने का आरोप है। इसके अलावा भी कई आरोप लगे हैं। एक बात समझने लायक है दिल्ली दंगों के आरोप में UAPA झेल रहे ये एक्टिविस्ट्स   एंटी-सीएए आंदोलनों   में मुख्य रूप से मुखर रहे। 14 दिसंबर से शुरू हुआ आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्वक रहा। देश में कई सारे रेप्लिका तैयार हुए। पूरा देश इन आंदोलनों के रंग में रंग गया। यह भी पढ़ें:  ‘ मस्जिदियाबिंद’ से ग्रसित रजत शर्मा को मजूदरों की रोटी नहीं उनके हाथ में बैग की फिक्र कैसे   हुई   थी   हिंसा   की