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Showing posts from March 18, 2021

पिछड़ गए अमित शाह, ममता रेस में मीलों आगे! - बंगाल चुनाव ओपीनियन पोल

  किसी भी खेल को जीतने की संभावनाएँ तब बढ़ जातीं हैं, जब या तो नियम आपने ही बनाएँ हों या आप उन्हें अच्छे से जानते हों। पश्चिम बंगाल चुनाव भी एक मज़ेदार खेल बनता जा रहा है। बीजेपी ने अपने नियम इस खेल में सेट करने की कोशिश की, जैसे -   सीएए ,   एनआरसी ,   एनपीआर   और बांग्लादेशी घुसपैठिए। लेकिन फ़िलहाल ऐसा लग रहा है कि वो नियम सेट हो नहीं पाए।   “ कौन जीतेगा पश्चिम बंगाल के चुनाव ” - ये आम लोगों के बीच चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना हुआ है। इस खेल में जो दो दल सबसे आगे दिख रहे हैं वो हैं - सत्तारूढ़ टीएमसी और भारतीय जनता पार्टी। चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में अमित शाह ने कहा था कि उनकी पार्टी आने वाले चुनावों में 200 से अधिक सीटें हासिल करेगी। वहीं ममता बनर्जी पिछले दो बार के विस चुनावों के प्रदर्शन से बेहतर परिणाम को लेकर आश्वस्त दिख रहीं थीं। मतलब 294 सीटों वाली विधानसभा में दोनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टी की सरकार बनने को लेकर आश्वस्त थे।   फिलहाल   ABP के C Voter   ने सर्वे कर लोगों के मूड का जायज़ा लिया। अगर आज चुनाव होते हैं तो संभावित परिणाम क्या होगा, किस पार्टी की सरकार बनेगी, क्या

"After farmers and youths, now bankers are on roads" - Why?

  The bankers, holding posters and shouting slogans have created an uproar on the Indian streets after the   United Forum of Bank Union   (UFBU), an umbrella body of nine bank unions, called for a two-day nationwide strike on March 15th and 16th. The minds were filled with furor until the strike. All this started on February 24th after Finance Minister Nirmala Sitharaman's tweet. She tweeted, "Embargo lifted on a grant of Govt business to private banks.  All banks can now participate. Private banks can now be equal partners in the development of the Indian economy, furthering Govt's social sector initiatives, and enhancing customer convenience." Soon after that, the Bank of Maharashtra, Bank of India, Indian Overseas Bank, and the Central Bank of India were shortlisted for privatization. Earlier, only two banks were said to be privatized but when announced, there were four which was a shocker, leading to objections.   Due to the bank strike, major services like cash w

जिन्होंने बैंक से फ्रॉड किया अब उन्हीं को बैंक क्यों सौंपना चाहती है मोदी सरकार?

जिन्होंने बैंक से फ्रॉड किया अब उन्हीं को बैंक क्यों सौंपना चाहती है मोदी सरकार? साल 1969, केंद्र की सत्ता में थी इंदिरा गांधी. उन्होंने एक झटके में 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण यानी सरकारी कर दिया। इंदिरा गांधी ने कहा- बैंक अपनी सामाजिक जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं वह अपने मालिकों के हाथ की कठपुतली बनकर रह गए हैं। वक्त बीता और साल आया 2021, केंद्र की सत्ता में हैं नरेंद्र मोदी। उन्होंने कहा- सरकार का काम व्यापार करना नहीं है। और उन्होंने बैंको को निजी हाथों में सौंप दिया। दो सरकार। दो फैसले। किसके सही और किसके गलत ये आप तय करें। पिछले चार सालों में मोदी सरकार ने 14 बैंको को दूसरे बैंको में समाहित यानी विलय कर दिया। अब उनके निशाने पर आईडीबीआई समेत 2 अन्य सरकारी बैंक हैं जिसे वह निजी हाथों में सौंपने जा रही है। देश के सबसे बड़े बैंक कर्मचारी संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ यूनियंस ने इसके विरोध में 15 और 16 मार्च को हड़ताल का ऐलान किया है। बैंक कर्मियों का कहना है कि ऐसे वक्त में जब सरकारी बैंको को मजबूत करके अर्थव्यवस्था को गति देने की जरूरत है उस वक्त उन्हें बेचा जा रहा है। सवाल है कि इन आईडीबीआ