साधुओं की हत्या को मुस्लिमों से जोड़ने वाले ‘भक्त’ अपना दिमाग गिरवी रखकर आका को खुश करने में लगे हैं
2015 में फ्रीज में गौ मांस रखने के आरोप में भीड़ ने बुजुर्ग अखलाक की हत्या कर दी, सियासी गलियारे में बवंडर मचा तो चर्चा इस बात की शुरु हो गई कि क्या फ्रीज में गौमांस था कि नहीं। मतलब ये कि भीड़ ने किसी की पीटकर हत्या कर दी इसकी चर्चा गायब हो गई. वक्त गुजरा और अलवर में पहलू खान नाम के बुजुर्ग की गाय तस्करी के नाम पर पीट पीटकर मार डाला गया, कुछ वक्त बाद बुलंदशहर में दंगा रोकने गए इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या कर दी गई. ऐसे ही अलीमुद्दीन, तौहीद, इम्तियाज व तबरेज अंसारी जैसे लोगों की भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी। मुस्लिमों की हत्या से शुरु हुआ ये क्रम दलितों आदिवासियों से होते हुए साधु-संतो के शिकार तक पहुंच गया, और महाराष्ट्र के पालघर इलाके में आतताई भीड़ ने जूना अखाड़े के दो साधुओ और उनके एक ड्राइवर को लाठी डंडो से पीटकर मौत के घाट उतार दिया. घटना के वीडियो वायरल हुए मजहबी नफरत फैलाने वालों को मानों मसाला मिल गया हो, उन्होंने इसे हिन्दू मुस्लिम का एंगल देते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरु कर दिया, इसकी गंभीरता ऐसे समझी जा सकती है कि स्वयं प्रदेश के गृह...