गुवाहाटी में रिक्शा चलाने वाले मोहम्मद नूर हुसैन ने कहा- सरकारी अधिकारियों ने हम पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया, तर्क में कहा- तुम गैरकानूनी ढंग से बॉर्डर पार करके यहां आए हो, जबकि ऐसा नहीं है, हम यहीं पैदा हुए, हम असम के हैं, हम भारतीय हैं। ये बातें कहते हुए मोहम्मद नूर हुसैन के चेहरे पर संतोष के भाव थे, क्योंकि फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने 34 साल के नूर हुसैन, उनकी पत्नी सहेरा बेगम और दो बच्चों को भारतीय बताया है, 18 महीने के बाद उन्हें डिटेंशन सेंटर से बाहर किया गया है। यह भी पढ़ें: REET 2016 : एक ऐसी भर्ती जिसमें High Court के दो बार आदेश के बावजूद सरकार ने नहीं जारी की वेटिंग लिस्ट मोहम्मद नूर हुसैन असम के उदालपुरी जिले के निवासी हैं, वह लॉडॉन्ग गांव में अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहते हैं, गुवाहाटी में रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालते हैं, कमाई का कोई और जरिया नहीं है, बच्चे छोटे हैं इसलिए पत्नी मजदूरी करने नहीं जाती। असम में भारतीय नागरिक पहचान यानी एनआरसी ने काफी उथल-पुथल मचाई, देशी-विदेशी की लिस्ट बनी और करीब 19 लाख लोग विदेशी ठहरा...