आज से करीब 10 साल पहले तक सपा समर्थकों में ओबीसी वर्ग का एक बड़ा हिस्सा होता था लेकिन धीरे धीरे ये वर्ग छिटकर भाजपा के पाले में चला गया। भाजपा जितनी मजबूत हुई सपा उतना कमजोर होती चली गई। आज यादव लॉबी को छोड़ दे तो सपा के साथ खड़ा होने वाला वर्ग बड़ी संख्या में नजर नहीं आता। सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल आजम खान को योगी सरकार ने तमाम झूठे आरोपो में जेल भिजवा दिया, ऐसे में अखिलेश यादव को सड़क पर उतरना था लेकिन वह मुखरता से नहीं उतरे। अखिलेश के भीतर ये डर था कि कहीं जनता में ये मैसेज न चला जाए कि सपा मुस्लिमों से सहानुभूति रखती है। सीएए प्रोटेस्ट के दौरान भी अखिलेश के दिमाग में यही चल रहा था, उस वक्त आजमगढ़ में बड़ी संख्या में मुसलमानों को सीएए प्रोटेस्ट में तोड़फोड़ करने के आरोप में कुर्की हुई, जेल भेजा गया लेकिन अखिलेश चुप्पी साधे रहे। ध्यान रहे यहां की जनता ने अखिलेश को अपना वोट देकर सांसद चुना है। यही कारण है कि मुस्लिम भी आज सपा पर अंधा भरोसा करने से बचते नजर आ रहे हैं। अब वर्तमान देखिए। किसान आंदोलन हो रहा...