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Showing posts from March 20, 2021

संस्कृति और सेक्स के नाम पर इतनी गलतफहमियां! समाज ही रेपिस्ट तैयार कर रहा?

  Author :-   RAJESH SAHU सवाल है कि रेप क्यों होते हैं?   - क्योंकि लड़कियां छोटे कपड़े पहनती हैं। नहीं। - क्योंकि लड़कियां पुरुषों को अट्रैक्ट करती हैं। नहीं नहीं।  - क्योंकि लड़कियां रात में घूमने निकलती हैं। नहीं ये भी नहीं।    तो फिर क्यों? नहीं पता! चलिए हम बताते हैं आपको क्यों होते हैं रेप?   उत्तराखंड के   नवनियुक्त सीएम तीरथ सिंह रावत   एकबार हवाई यात्रा कर रहे थे उनके बगल एक महिला बैठी थी उन्होंने पूछा बहन जी कहां जा रही हैं? महिला ने कहा- दिल्ली जा रही हूं. मेरे पति जेएनयू में प्रोफेसर हैं और मैं खुद एक एनजीओ चलाती हूं।    बस इतनी सी बात ही तीरथ जी ने महिला से की। उसके बाद अपने दिमाग में तमाम ख्याल पाल लिए। उन्होंने कह दिया कि जो   महिला फटी हुई जींस पहनती हो   वह समाज में क्या संस्कृति फैलाती होगी। ये बयान सिर्फ मुंह से बक देने भर का नहीं है। बल्कि एक पूरी मानसिकता को दिखाता है जो सिर्फ सीएम तीरथ जी के भीतर नहीं है बल्कि देश के एक बड़े हिस्से के लोगों के भीतर बसी हुई है।    ये मानसिकता क्या है इसे पांच प्वाइंट में समझिए।    प्वाइंट नंबर- 1   असल में रेप 'कल्चर' की ब

Ripped jeans are better than ripped mindset...

  Society is following nudity if it is following the trend or let us say it in the style of newly appointed Uttarakhand CM,   Tirath Singh Rawat   that the ripped jeans are a signal of nudity. If we go back to history, the trend of distressed denim had found its way into the punk culture in the 1970s. Before this, ripped jeans were linked with the working class who couldn't afford to buy new jeans. Even at that time, denim became a target.   The episode of target started when a band named 'Sex Pistols' implanted British Punk ideology to fight against the state of affairs and the hidebound form of govt. After this, denim became one of the main targets for political deconstruction. Men and women who wore torn jackets and jeans adorned with pins and slogans were charged.   The ripped jeans were popular in the late 1980s and the 1990s and 2000s during the grunge era. Many international designers like Tom Ford and Helmut Lang, and others began to customize jeans again, which inc

क्या बीजेपी के पास चुनाव लड़वाने के लिए उम्मीदवार नहीं?

  अंतिम चार चरणों के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रेषित सूची ने   पार्टी में बड़े बवाल   को न्यौता दिया। दरअसल काशीपुरा-बेलगछिया से तरुण साहा और चौरिंगी विधानसभा से शिखा मित्रा को टिकट दिया गया। इसके बाद इन दोनों ने बीजेपी में होने या बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। इससे पहले टिकट वितरण को लेकर बीजेपी आंतरिक कलह का शिकार भी हो चुकी है।   इन घटनाक्रमों ने एक बड़ा सवाल पैदा कर दिया है। सवाल ये कि क्या बीजेपी के पास चुनाव लड़वाने के लिए उम्मीदवार तक नहीं हैं? अगर ऐसा है तो किस आधार पर अमित शाह 200 से अधिक सीट जीतने का दावा कर रहे हैं।पहले ओपीनियन पोल और अब   टिकट वितरण   को लेकर भाजपा की समस्या ये छवि गढ़ रही है कि  बंगाल चुनावों की दौड़ में पार्टी पिछड़ चुकी है।   दहाई का आँकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी बीजेपी इन हालात में प्रशांत किशोर का एक पुराने ट्वीट की चर्चा की जानी चाहिए। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 21 दिसंबर को एक ट्वीट कर लिखा था कि “समर्थित मीडिया के द्वारा चाहे कितना भी प्रचार क्यों न करवा लिया जाए, वास्तविकता ये है कि बंगाल में बीजेपी   दहाई का आँकड़ा   प