2013-14 में देश के भीतर यूपीए की सरकार थी। हर दिन सुबह अखबार खोलिए किसी नए भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ रहता था। जनता के भीतर इन भ्रष्टाचारों को लेकर आक्रोश भर गया। उस आक्रोश का फायदा सीधे तौर पर उस वक्त की विपक्षी पार्टी भाजपा को मिला। भाजपा चुनावी तैयारियों में जुटी, तमाम नारे गढ़े गए। एक सबसे मशहूर नारा था 'देश नहीं बिकने दूंगा'। नरेंद्र मोदी ने देश के हर हिस्सों में रैली की और ये नारा दिया। जनता को भरोसा हो गया कि नरेंद्र मोदी इस देश के नए कर्णधार हैं और उनके हाथ में देश की कमान देने से देश सुरक्षित रहेगा। तरक्की के पथ पर तेजी से अग्रसर होगा। लेकिन आज सात साल बीत जाने के बाद पीछे मुड़कर देखते हैं तो पाते हैं कि उस वक्त जो भी बोला गया वह सिवाय चुनावी नारे के कुछ नहीं था। क्योंकि सत्ता में आते ही सरकार ने सरकारी कंपनियों को तेजी से निजी हाथों में देना शुरु कर दिया। यह भी पढ़ें : BPCL एक ऐसी मुर्गी जो रोज दे रही सोने का अंडा, सरकार ज्यादा अंडे पाने के लिए देने जा रही 'बलि' सरकारी कंपनियों के निजी हाथों में जाते ही सबसे अधिक असर SC-ST व OB...