"वीर दामोदर सावरकर को सम्मान देना है तो गांधी की विचारधारा की तरफ अपनी पीठ करनी होगी। और अगर गांधी को स्वीकारना है तो सावरकर की विचारधारा को नकारना होगा। दोनों को एक साथ लेकर चलना लगभग असंभव है।" हिन्दू धर्म और हिन्दुत्व को राजनीति में प्रवेश दिलाने वाले विनायक दामोदर सावरकर की आज (28 मई) जयंती है। सावरकर भारतीय आधुनिक इतिहास की ऐसी शख्सियत हैं जिनका जब भी नाम लिया जाता है विरोध के सुर अपने आप तैयार हो जाते हैं। वर्तमान भाजपा सरकार सावरकर को लेकर जितना फिक्रमंद रही है कांग्रेस उतना ही विरोधी। बहुत मामलों में कांग्रेस और भाजपा एक छोर पर खड़े दिख जाएंगे पर जब बात सावरकर की हो तो दोनों पार्टियों दो अलग ध्रुव पर खड़ी दिखती हैं। यह भी पढ़ें: मीडिया क्यों फैला रही है नफ़रत? - पार्ट-1 नासिक के भागपुर में 28 मई 1883 को जन्में सावरकर जब 7 साल के थे तो हैजे की बीमारी से इनकी मां और जब इनकी उम्र 16 साल थी तो प्लेग की महामारी से इनके पिता दामोदर पंत सावरकर की मौत हो गई। इसके बाद परिवार की जिम्मेदारी बड़े भाई पर आ गई। जिन्होंने परिवार को पूरी जिम्मेदारी...