हाथरस की दलित बेटी अब इस दुनिया में नहीं है. उसे कुछ हैवानों ने अपने हवस की आग मिटाने के लिए मार डाला. यह एक मामूली सी घटना तो बिल्कुल नहीं है, यह घटना बताती है कि हमारी पुलिसिया सिस्टम और उसे चलाने वाली सरकार पूरी तरह से फेल हैं. वह फिल्म सिटी तो बनाना चाहती है लेकिन एक अपराध मुक्त प्रदेश नहीं बनाना चाहती. ऐसे अपराध इसलिए हो रहे हैं क्योंकि बलात्कारी मानसिकता को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है. पहले तो हाथरस की घटना को पुलिस फर्जी बताती है और जब एक्सपोज होती है तो फटाफट 100 एफआईआर दर्ज करती है. इसी तरह जनवरी 2018 में कठुआ में एक मासूम सी बच्ची के साथ कुछ दरिंदो ने गैंगरेप किया था. उस घटना पर भाजपा नेता नंद कुमार चौहान कहते हैं कि कठुआ गैंगरेप में पाकिस्तान का हाथ होगा. सोचिए जब सिस्टम के लोग ही बेतुका और निहायत ही संवेदनहीन बयान देगें तो बलात्कारी मानसिकता क्यों नहीं पोषित होगी. यही नहीं सत्ताधारी पार्टी के नेता ही जब बलात्कार की घटनाओं को अंजाम देने लगेंगे तो आप उनसे सिस्टम में सुधार की उम्मीद भ...