"आखिर मंच पर क्या करने गए थे रवीश ?"
हाल ही में रवीश के एक तस्वीर को कुछ शरारती तत्वों द्वारा फैलाया गया. तस्वीर के साथ कैप्शन को इस तरह से जोड़ा गया की सवाल उठने जाहिर थे लेकिन सच्चाई कुछ और ही थी. हालांकि इतना बवंडर भी इसलिए हुआ क्योंकि वो तस्वीर "रवीश कुमार" की थी, अगर सुधीर चौधरी की होती तो शायद इतना बवंडर नहीं होता.
इसलिए चर्चे के घेरे में -
मंगलवार को उत्तरप्रदेश के जौनपुर में गठबंधन की संयुक्त रैली का आयोजन हुआ। इस रैली में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती भी मौजूद थीं।दिलचस्प बात ये की इस रैली में पत्रकार रवीश कुमार भी दिखाई दिए। इस रैली की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी दिखाई दे रही है। दरअसल इस तस्वीर में मायावती मंच पर बैठी हुई हैं, वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भाषण दे रहे हैं। इस दौरान रवीश कुमार मंच पर मायावती के पीछे खड़े दिखाई दे रहे हैं। इस तस्वीर पर सोशल मीडिया यूजर्स खूब ट्रोल कर रहे हैं।
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हकीकत
दरअसल रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम शो में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ मुखर रहे हैं। यही वजह है कि गठबंधन की रैली में रवीश कुमार के मंच पर दिखने को लेकर कई यूजर्स कमेंट कर रहे हैं। लेकिन हकीकत ये है की यूपी में अखिलेश यादव के साथ रविश कुमार कैंपेन ट्रेल कवर कर रहे थे।
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उनके हेलीकॉप्टर में और रैलियों में। इस दौरान रवीश कुमार मंच पर भी गए। यह देखने की कि नेता के भाषण का क्या रेस्पांस है। इसी दौरान की एक तस्वीर को कुछ शरारती तत्वों द्वारा फैलाया जा रहा है और ऐसे घेर कर बताया जा रहा है कि रवीश को बैठने की कुर्सी नहीं दी गई।
हालांकि की इसके बाद कई बड़े पत्रकारों ने अपने मंदबुद्धिपने के स्तर का ब्यौरा देते हुए रवीश को साधने कि कोशिश भी की लेकिन फिर भी रवीश कुमार उतने आक्रामक नहीं दिखे. वैसे चुनावी रैलियों में पत्रकारों की उपस्थिति कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि उन्हें अपने मीडिया घरानों के लिए रिपोर्ट करने के लिए ऐसी रैलियों में शामिल होना पड़ता है। फिर भी पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों द्वारा रवीश कुमार को ट्रोल करना और उन पर सवाल उठाना बेहद बचकाना है. अगर नहीं तो आप ही बताएं की
क्या एक पत्रकार रैली के दौरान मंच पर "राजनेता" के साथ बैठ सकता है ?
(चौधरी साहब को छोड़कर)
(चौधरी साहब को छोड़कर)
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