
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक रैली में कहा था कि गुंडे-बदमाश और लुटेरे यूपी छोड़कर कहीं और चले जाएं वरना उन्हें वहां पहुंचा दिया जाएगा जहां वह जाना नहीं चाहते। उनके कहने का आशय एनकाउंटर से था। शायद उनकी इस बात से गुंडे डर गए और यूपी छोड़कर चले गए। ऐसे में पुलिस को लगा कि ऐसा ही रहा तो योगी जी पुलिस की जरूरत को खत्म बताकर विभागों में छंटनी कर देंगे। इसलिए वह स्वयं ही लूट करने लगे। लूट भी कोई मामूली नहीं बल्कि पूरे 30 लाख की। वो भी कहीं और नहीं बल्कि सीएम योगी के गृह जिले गोरखपुर में ये अनोखी घटना घटी है। मामला जानने की बड़ी बेचैनी हो रही है तो चलिए बता देते हैं।
20 जनवरी को महराजगंज जिले के स्वर्ण व्यापारी दीपक वर्मा और रामू वर्मा गहनों की खरीद के लिए बस के जरिए लखनऊ जा रहे थे। रास्ते में पड़ा गोरखपुर और वहां मिल गई योगी की ठांय ठांय पुलिस। कस्टम अधिकारी बनकर दरोगा जी दो सिपाहियों के साथ बस में चढ़े और स्वर्ण व्यापारियों को पकड़ लिया। पूछताछ के नाम पर नौसढ़ ले गए। वहां दरोगा व दोनो सिपाहियों ने मिलकर दोनो व्यापारियों को पीटा और गहनों व रुपए से भरा बैग छीनकर चल दिए। दोनो व्यापारी किसी तरह नजदीकी थाने पहुंचे और मामला दर्ज करवाया।
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पुलिस को पहले लगा कि कोई गिरोह नकली पुलिस बनकर व्यापारियों के साथ खेल कर दिया। अब चूंकी मामला वर्दी में लूट का, 30 लाख की भारी रकम का व योगी जी के गृह जिले का था इसलिए पुलिस हरकत में आ गई। जहां घटना हुई थी वहां लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकाली गई तो एक बोलेरो नजर आई। उस बोलेरो के नंबर की जांच हुई तो वह बस्ती की निकली। पुलिस ने बोलेरो को कब्जे में लिया। इसके बाद तो पूरी कहानी ही खुल गई। चालक ने बताया उसे तो पुरानी बस्ती थाने में तैनात दरोगा धर्मेंद्र यादव ले गए थे। ड्राइवर के इस कबूलनामे के बाद पुलिस ने छापेमारी करके दरोगा धर्मेद्र, दो सिपाही महेंद्र व संतोष को गिरफ्तार कर लिया गया।
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पुलिस ने पूछताछ शुरु की तो पता चला कि सारा माल एक गेस्टहाउस में रखा है। इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने से पहले अपराधी छोटी मोटी घटनाओं को अंजाम देता है, पुलिस पूछताछ में उससे पुरानी घटनाओं के बारे में भी पूछताछ करती है, ऐसा यहां भी हुआ। कड़ाई से पूछताछ हुई तो पता चला कि 31 दिसंबर को शाहपुर के खजांची चौक के पास यही दरोगा कस्टम अधिकारी बनकर सुशील वर्मा से चार किलो चांदी लूट लिया था। सुशील मामला दर्ज करवाने पुलिस के पास गए लेकिन जब लुटेरे ही वर्दीवाले हो तो चोर किसे साबित करके पकड़ें। वह मामला भी दबा रह गया। पुलिस पर भरोसा न होने का एक कारण ये भी है।
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डीआईजी जोगेंद्र कुमार ने 21 जनवरी को पुलिस लाइन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने बताया की बस्ती थाने में तैनात इंस्पेक्टर अवधेश राज सिंह समेत 12 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इसकी जांच एसपी को सौंपी गई है। पुलिस आरोपियों के खिलाफ रासुका व गैंगस्टर के तहत कार्रवाई करने की बात कही है। जोगेंद्र कुमार ने बताया कि जांच के बाद आरोपियों की संपत्ति भी जब्त की जाएगी। पुलिस जितनी कार्रवाई की बात कर रही है अगर इतना होता है तो समाज में एक बेहतर संदेश जाएगा। लेकिन सवाल अभी भी बना है कि आखिर ये मुस्तैदी पहले क्यों नहीं दिखाई देती।
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नकली पुलिस बनकर लूट की घटनाएं तमाम सामने आ रही हैं। ऐसे में लोगों को ये भरोसा करना मुश्किल हो रहा कि असली कौन और नकली कौन। कई बार तो उनका वीडियो बनाने लगो तो ऐसे चढ़ बैठते हैं जैसे खा जाएंगे। ये सभी बातें पुलिस वालों को भी पता है, लेकिन इसकी पड़ताल करना मुनासिब नहीं समझते हैं। योगी जी जिन पुलिसवालो को दूसरे राज्यों में जाकर मसीहा बताते हैं वह कभी लूट कर रहे तो कभी थाने से ही सेक्स रैकेट चला रहे हैं। पुलिस के ये सारे पाप एनकाउंटर के जरिए नहीं ढांके जा सकते हैं।
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