
रेप की सबसे अधिक घटनाएं सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के साथ होती हैं। दलित बच्चियांं सबसे सॉफ्ट शिकार होती हैं। इनके खिलाफ अपराध करने वाले व्यक्ति को पता होता है कि उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अगर बात बढ़ी भी तो अपनी पहुंच व पैसे के दम पर मामला रफा दफा करवा देगा। दलित बच्चियों के साथ होने वाले अपराध में दलित आरोपियों के अलावा उच्च जाति के लोगों की भी संख्या अधिक रही है। दूसरी तरफ सामाजिक व आर्थिक रूप से मजबूत लोगों के घरों की बेटियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं दलितों के अपेक्षा कम रही हैं।
आप एक लड़की हैं, दलित हैं, गरीब हैं, समाज में कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है तो आप कई स्तर पर रेप के लिए आरोपियों के निशाने पर हैं। ये कोई बड़ी बात नहीं है जिसे समझने के लिए अलग से दिमाग लगाना पड़े। जो कहते हैं कि बलात्कार में जाति मत देखो, धर्म मत देखो वो सिर्फ बकवास करते हैं। हां कई बार रेप केस में जाति फैक्टर नहीं होती। आर्थिक हैसियत या फिर राजनीतिक पहुंच भी कोई फैक्टर नहीं होती, कई बात तो सिर्फ एक स्त्री होना ही काफी होता है।
अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में ब्लैक एंड वाइट का भेद जबरदस्त है। वहां भी रेप के तमाम मामलों में ये फैक्टर बनता है। भारत में जाति की खाई लगातार गहरी होती गई जिससे रेप के तमाम मामलों जाति के साथ धर्म भी एक मैटर बन जाता है। परिवार में ही होने वाले रेप में जाति या धर्म मैटर नहीं होता। लैंगिग और जेंडर रोल्स वाले भेद ही अधिक प्रभावी होती है।
उन्नाव में दो बच्चियों की मौत के मामले पर जांच जारी है इसपर कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन इसके पहले हाथरस, गोरखपुर, मिर्जापुर व लखीमपुर खीरी में जो हुआ वहां जाति एक बड़ा मैटर बना। आरोपी के समर्थन में खड़ा होना, रैलियां निकालना ये एक नया ट्रेंड है। जातीय श्रेष्ठताबोध से भरे युवाओं के भीतर निचली जाति को लेकर नफरत भर गई। सबक सिखाने के लिए कई बार बलात्कार जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं।
सरकार के पास पावर व प्रचार माध्यम दोनो ही मौजूद है। वह स्थिति को संभाल सकती है लेकिन अधिकतर मामलों में तो दोषी सरकार की गोद में बैठे नेताओं के करीबी होते हैं फिर उन्हें बचाने के लिए तमाम तरकीबे निकाली जाने लगती है। यूपी में ये सबसे अधिक है। सरकार पीड़ित के परिवार को ही नजरबंद करने की कोशिश करती है। ऐसा इसलिए भी करते हैं क्योंकि इन्हें पता है कि वह सरकार के रूप में फेल साबित हो चुके हैं।
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