
किसी भी खेल को जीतने की संभावनाएँ तब बढ़ जातीं हैं, जब या तो नियम आपने ही बनाएँ हों या आप उन्हें अच्छे से जानते हों। पश्चिम बंगाल चुनाव भी एक मज़ेदार खेल बनता जा रहा है। बीजेपी ने अपने नियम इस खेल में सेट करने की कोशिश की, जैसे - सीएए, एनआरसी, एनपीआर और बांग्लादेशी घुसपैठिए। लेकिन फ़िलहाल ऐसा लग रहा है कि वो नियम सेट हो नहीं पाए।
“कौन जीतेगा पश्चिम बंगाल के चुनाव” - ये आम लोगों के बीच चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना हुआ है। इस खेल में जो दो दल सबसे आगे दिख रहे हैं वो हैं - सत्तारूढ़ टीएमसी और भारतीय जनता पार्टी। चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में अमित शाह ने कहा था कि उनकी पार्टी आने वाले चुनावों में 200 से अधिक सीटें हासिल करेगी। वहीं ममता बनर्जी पिछले दो बार के विस चुनावों के प्रदर्शन से बेहतर परिणाम को लेकर आश्वस्त दिख रहीं थीं। मतलब 294 सीटों वाली विधानसभा में दोनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टी की सरकार बनने को लेकर आश्वस्त थे।
फिलहाल ABP के C Voter ने सर्वे कर लोगों के मूड का जायज़ा लिया। अगर आज चुनाव होते हैं तो संभावित परिणाम क्या होगा, किस पार्टी की सरकार बनेगी, क्या मुद्दे हावी रहेंगे, किन कारकों का प्रबाव प्रत्यक्ष तौर पर चुनावों में पड़ेगा, कौन मुक्य मंत्री बनेगा आदि सवाल लोगों से पूछे गए।
मुद्दा क्या होगा?
बीजेपी ने CAA, NRC, NPR और बांग्लादेशी घुसपैठिए को इन चुनावों का मुख्य मुद्दा बनाने की कोशिश की। नागरिकता संशोधन कानून पास करने के बाद अमित शाह के बाषणों में अक्सर बांग्लादेशी घुसपैठिओं और बंगाल का ज़िक्र होता था। स्पष्ट था कि वो बंगाल में रहने वालों को उद्वेलित कर सकें। इस चर्चा से हिंदू बनाम मुस्लिम के विमर्श को भी का चाहती थी, लेकिन लोगों ने इसे लगभग ख़ारिज़ कर दिया। सर्वे के मुताबिक केवल 1.5 फीसदी लोगों ने बांग्लादेशी घुसपैठिओं को मुद्दा माना है।
इस मामले में शीर्ष पर रहा है बेरोज़गारी का मुद्दा। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 35.2 फ़ीसदी लोगों ने बेरोज़गारी को अपना मुद्दा माना है। वहीं बिजली, पानी, और सड़क जैसी मूलभूत आवश्यकताएँ भी 19.7 फ़ीसदी लोगों का मुद्दा है। कोरोनावायरस संक्रमण के कारण उपजी परिस्थितियों को 15.4 फ़ीसदी लोगों ने अपना मुद्दा बताया। सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार को लेकर बी लोग सजग दिखे और सर्वे में हिस्सा लेने वालों में से 12.7 फ़ीसदी लोगों ने इसे अपना मुद्दा बताया।
जहाँ तक बेरोज़गारी का सवाल है, यह पूरे देश की बहुत बड़ी समस्या है। SSC GD-2018 के तहत नौकरी की मांग कर रहे सफल अभ्यर्थियों में शामिल बंगाल के युवाओं ने कहा, “चुनाव लड़ रहीं पार्टियाँ कहती हैं खेला होबे! कौन सा खेला होबे! ये तो बताएँ।” वहीं उन्होंने बीजेपी को लेकर कहा “बीजेपी अब बंगाल में रोज़गार देने की बात करेगी। लेकिन क्या उन्होंने बिहार और उत्तर प्रदेश में रोज़गार दे दिया, जहाँ उनकी सरकार है? अगर हमें ज्वाइनिंग नहीं मिलती है तो हम बीजेपी के खिलाफ अभियान छेड़ेंगे।”
क्या कारक चुनावों को सर्वाधिक प्रभावित करेंगे?
1 दिसंबर से लेकर 30 जनवरी तक शिविरों के माध्यम से दुआरे सरकार के ज़रिए 11 जनकल्याण योजनाओं को लाभ पहुँचाने की TMC की नीति, इसके हक में जाती दिख रही है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 29.3 फीसदी लोगों ने माना कि दुआरे सरकार योजना आगामी चुनावों को प्रभावित करेगी। इसके अलावा 18.9 फीसदी लोगों ने TMC के विद्रोहियों को भी चुनावों को प्रबावित करने वाला महत्वपूर्ण कारक माना है। बता दें कि मुकुल रॉय से लेकर शुभेंदु अधिकारी तक - TMC के स्तंभ पार्टी से विद्रोह करके BJP में शामिल हुए हैं। ये आगामी चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं।
सर्वे में इस मोर्चे पर भी बीजेपी पिछड़ती दिखी। दरअसल, जिस एक बात की खूब चर्चा लॉकडाउन से भी पहले से हो रही थी, वो ये कि सौरव गांगुली बीजेपी में शामिल होंगे। एक तो सौरव अब तक बीजेपी में शामिल हुए नहीं हैं और दूसरा केवल 5 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि ये चर्चा आगामी चुनावों को प्रभावित करेगी।
सरकार कौन बनाएगी?
ये सबसे बड़ा सवाल है। हार और जीत का निर्धारण इसी से होगा। मुख्य प्रतिद्ंद्वी दलों के नेता आश्वस्त हैं अपनी-अपनी जीत को लेकर। लेकिन जीत किसी एक को ही मिलेगी। और सर्वे के मुताबिक़ ये जीत मिल रही है टीएमसी को। सर्वे के मुताबिक़ आगामी चुनावों में टीएमसी का वोटशेयर होगा 43 फ़ीसदी जबकि भाजपा का वोटशेयर 38.4 फ़ीसदी रहेगा। अगर संख्या की बात की जाए, तो टीएमसी 150-166, बीजेपी 98-114 और कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन 23-31 विधानसभा सीटें जीतने की क्षमता में हैं।
पिछले विधानसभा चुनावों के परिणामों से अगर तुलना की जाए तो ये बीजेपी के लिए बहुत लंबी छलांग है। 3 से 98-114 सीटों का सफ़र कम नहीं होता लेकिन बीजेपी जीत से कम किसी भी परिणाम को अपने लिए बढ़िया नहीं मानेगी।
मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
शुरुआती प्रचार के बाद से ही “बंगाल की बेटी” वाले नैरेटिव को स्थापित करने की कोशिश की जाती रही। ममता ख़ुद को बंगाल की बेटी कह रहीं थीं। यद्यपि बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेयर आगे नहीं किया लेकिन आजतक से बात करते हुए अमित शाह ने कहा था कि बंगाल का मुख्यमंत्री बंगाल का ही आदमी होगा। लेकिन ममता बनर्जी का क़द बहुत ऊँचा दिख रहा है।
सर्वे में शामिल 52.2 फ़ीसदी लोगों ने ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद का विकल्प माना। 26.9 फ़ीसदी लोगों के समर्थन के साथ दूसरे नंबर पर बीजेपी के दिलीप घोष रहे। इनके अलावा कोई भी दहाई के आँकड़े को भी पार नहीं कर पाया।
कुल मिलाकर अब तक के आसार ये बताते हैं कि ममता और टीएमसी भारी बढ़त लेकर बंगाल चुनावों के ट्रैक पर दौड़ रहीं हैं। अंतिम मार्क तक पहुँचते-पहुँचते तस्वीर बदल सकती है, लेकिन बीजेपी चुनावों का वो थीम सेट नहीं कर पाई, जो करना चाहती थी। इसलिए तस्वीर बदलेने के आसार कम ही नज़र आते हैं।
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