
अंतिम चार चरणों के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रेषित सूची ने पार्टी में बड़े बवाल को न्यौता दिया। दरअसल काशीपुरा-बेलगछिया से तरुण साहा और चौरिंगी विधानसभा से शिखा मित्रा को टिकट दिया गया। इसके बाद इन दोनों ने बीजेपी में होने या बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। इससे पहले टिकट वितरण को लेकर बीजेपी आंतरिक कलह का शिकार भी हो चुकी है।
इन घटनाक्रमों ने एक बड़ा सवाल पैदा कर दिया है। सवाल ये कि क्या बीजेपी के पास चुनाव लड़वाने के लिए उम्मीदवार तक नहीं हैं? अगर ऐसा है तो किस आधार पर अमित शाह 200 से अधिक सीट जीतने का दावा कर रहे हैं।पहले ओपीनियन पोल और अब टिकट वितरण को लेकर भाजपा की समस्या ये छवि गढ़ रही है कि बंगाल चुनावों की दौड़ में पार्टी पिछड़ चुकी है।
दहाई का आँकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी बीजेपी
इन हालात में प्रशांत किशोर का एक पुराने ट्वीट की चर्चा की जानी चाहिए। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 21 दिसंबर को एक ट्वीट कर लिखा था कि “समर्थित मीडिया के द्वारा चाहे कितना भी प्रचार क्यों न करवा लिया जाए, वास्तविकता ये है कि बंगाल में बीजेपी दहाई का आँकड़ा पार करने के लिए भी संघर्ष करेगी।” ग़ौरतलब है कि प्रशांत फ़िलहाल टीएमसी का चुनाव प्रबंधन देख रहे हैं और इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए भी काम कर चुके हैं। एक रणनीतिकार के तौर पर उनकी ख्याति काफ़ी अधिक है। प्रशांत किशोर ने किस आधार पर वो ट्वीट लिखा था, ये तो केवल वो ही बता सकते हैं, लेकिन फ़िलहाल जो हालात पैदा हुए हैं, उन्हें देखते हुए उस ट्वीट को ख़ारिज नहीं किया जा सकता।
शिखा मित्रा ने बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ने से किया इंकार
एक बार फिर से बीजेपी के टिकट वितरण पर नज़र डालते हैं। जिन दो उम्मीदवारों के कारण बीजेपी की छीछालेदर हुई है, उनमें से एक हैं शिखा मित्रा। शिखा, पूर्व कांग्रेस नेता सोमेन मित्रा की पत्नी हैं। इन्हें चौरिंगी से टिकट दिया गया है। हालांकि पहले शिखा ने ये बात कही थी कि अगर बीजेपी उन्हें चौरिंगी से टिकट देती है तो वो चुनाव लड़ सकतीं हैं, लेकिन अब जब नाम की घोषणा हुई तो उन्होंने एक वीडियो संदेश प्रेषित किया, जिसके अनुसार बीजेपी की टिकट पर उनका चुनाव लड़ना असंभव है। वो कांग्रेसी थीं, हैं और रहेंगी।
बीजेपी ने तरुण साहा को टिकट दिया, तरुण टीएमसी का प्रचार कर रहे हैं
दूसरे उम्मीदवार थे तरुण साहा। तरुण को काशीपुरा-बेलगछिया से बीजेपी का टिकट मिला।उनकी पत्नी टीएमसी की तरफ़ से इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं। उत्तरी बंगाल के एक जाने-माने नेता तरुण टीएमसी की ओर से कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के काउंसलर हैं। जब स्थानीय पत्रकार ने तरुण साहा से इस संबंध में बातचीत की, तो उन्होंने कहा, “मैं तो टीएमसी के उम्मीदवार के प्रचार में व्यस्त हूँ। मैं बीजेपी में शामिल नहीं हुआ हूँ। बिना किसी चर्चा के बीजेपी ने मुझे टिकट दिया है।”
महुआ मोइत्रा ने अमित साह पर कसा तंज
इस पूरे मामले के बाद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट करके बीजेपी पर तज कसा है। महुआ मोइत्रा ने ट्वीट में लिखा है कि “दो महीने की देरी के बाद आख़िरकार बीजेपी ने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, लेकिन सूची में मौजूद दो उम्मीदवार कह रहे हैं कि वो बीजेपी में नहीं हैं और उसकी टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। अमित शाह जी, कुछ होमवर्क करने का समय आ गया है।”
पाँच सांसदों को बीजेपी ने दिया टिकट
इन दो मामलों के अलावा भी BJP के टिकट वितरण ने इस आरोप को बल दिया है कि पार्टी योग्य उम्मीदवारों की कमी से जूझ रही है। टीएमसी के नेताओं समेत अन्य विरोधी नेता भी ये सवाल उठा रहे हैं कि आखिर क्यों बीजेपी को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पाँच सांसदों को उतारना पड़ रहा है। बाबुल सुप्रियो, लॉकेट चटर्जी, निसिथ प्रामाणिक, जगन्नाथ सरकार और स्वपन दासगुप्ता को बीजेपी इन विधानसभा चुनावों में उतार रही है। स्वपन दासगुप्ता, जो राज्यसभा सांसद हैं, ने राज्यसभा से त्यागपत्र दे दिया है।
टीएमसी के बाग़ियों को टिकट का भी हो रहा विरोध
इनके अलावा बीजेपी ने टीएमसी से पार्टी में आए नेताओं को भी टिकट दिया है, जिसका काफ़ी आंतरिक विरोध भी हुआ। बीजेपी ने TMC के दिग्गज और अब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय को कृष्णनगर उत्तर से टिकट दिया है। अगर अनुभव की बात करें तो मुकुल रॉय केवल एक बार चुनाव लड़े वो भी 2001 में और हार गए थे।
टिकट वितरण के अलावा ओपिनियन पोल की बात करें, तो वहाँ भी बीजेपी पिछड़ती दिख रही है। ABP C Voter के हालिया सर्वे के मुताबिक TMC स्पष्ट जनादेश के साथ सरकार बनाती दिख रही है।
कुल मिलाकर टिकट वितरण को लेकर जिस तरह का छीछालेदर भारतीय जनता पार्टी की हुई है, वो प्रशांत किशोर के उस पुराने ट्वीट की तरफ जाने को मजबूर करता है।
source: https://www.molitics.in/article/806/two-bjp-candidates-denied-contesting-West-Bengal-election
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