
पूरा देश 26 जनवरी को जब 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा था तब करीब 10 लाख किसान 3 लाख ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में परेड कर रहे थे। दोपहर तक सबकुछ बढ़िया चला लेकिन अचानक स्थिति बदली और आंदोलन में किसानों व पुलिसकर्मियों के बीच झड़प शुरु हो गयी। ये सब हो ही रहा था तभी एक कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया। प्रदर्शन में शामिल दीप सिद्धू ने लाल किले की प्रचीर पर खालसा का झंडा फहरा दिया। ये एक ऐसी घटना थी जिसने गोदी मीडिया को मौका दे दिया और उसने पूरे आंदोलन को हिंसक बताने में लग गई, अपने घिनौने मंसूबों में वह कामयाब भी हो रही है। खैर बड़ा सवाल ये है कि ये दीप सिद्धू है कौन?
एक लाइन में कहूं तो ये भाजपा कार्यकर्ता है। जो 2019 के लोकसभा चुनाव में बॉलीवुड अभिनेता सन्नी देओल के लिए प्रचार किया करता था। सन्नी देओल के लिए रैलियों में जनता को संबोधित करता और उनसे भाजपा को वोट देने की अपील करता। जैसे ही लाल किले पर खालसा का झंडा लगाने की खबर आई सन्नी देओल ने ट्वीट करके सफाई दी कि उनका और उनके परिवार का दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है। ये अजब बात है। सन्नी देओल खुद उसे अपने बगल बिठाकर उसकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं, चुनावी गाड़ियों में अपने बगल खड़ा कर रहे हैं लेकिन जैसे ही उसका दूसरा रूप सामने आया उससे पल्ला झाड़ने में लग गए।
पंजाब के मुक्तसर जिले के दीप सिद्धू ने कानून की पढ़ाई की लेकिन वकालत में कैरियर बनाने के बजाय पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में आ गया। शुरुआत में मॉडलिंग की लेकिन सफलता नहीं मिली। 2015 में 'रमता जोगी' फिल्म बनाई फिर भी नाम स्थापित नहीं कर सका। 2018 में 'जोरा दास नम्बरिया' फिल्म ने दीप सिद्धू की पहचान को इंडस्ट्री में स्थापित किया, उस फिल्म में ये भाई साहब गैंगेस्टर बने थे। शायद उसी का असर रहा कि ये वास्तविक जीवन में भी गैंगस्टर बनने निकल पड़े।
सवाल ये है कि दीप सिद्धू क्या सच में किसानों का हितैषी है। पीछे जाएंगे तो कहानी साफ होगी। 25 सितंबर के दिन पंजाब के तमाम अभिनेताओं ने किसान आंदोलन का समर्थन किया और मोदी सरकार से नए कृषि कानून वापस लेने की बात कही। समर्थन देने वाले अभिनेताओं में दीप सिद्धू भी शामिल था, उसके समर्थन देने पर किसान नेता राजेवाल जी ने कहा था अरे वो क्या किसानों को समर्थन देगा वो तो मोदी मोदी ही करता है।
25 जनवरी को दीप सिद्धू आधी रात सिंघु बॉर्डर पहुंचा उसने किसानों से कहा- हमारे नेता दबाव में हैं, अगर वह निर्णय नहीं ले सकते तो हमें निर्णय लेना होगा। इसके बाद गैंगस्टर से नेता बना लखबीर सिंह सिधाना ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा- हम रिंग रोड पर जाएंगे, अगर कोई विरोध करता है तो वह करता रहे। अगर कोई हमारे समर्थन में है तो वह मजदूर संघर्ष समिति को फॉलो करे। सुबह हुई वह तय मार्ग को तोड़ते हुए लाल किला पहुंच गए। प्रशासन मूक बनकर देखता रहा। और दीप सिद्धू निशान साहिब का झंडा लेकर ऊपर पहुंच गया।
जब वह ऊपर चढ़ रहा था तब बड़ी संख्या में किसानों ने उसे नीचे उतर आने को बोल रहे थे लेकिन वह किसी की नहीं सुना। वायरल वीडियो में ये देखा जा सकता है। दीप सिद्धू ने अपनी सफाई में एक वीडियो जारी करते हुए कहा- हमने राष्ट्र ध्वज को नहीं हटाया बल्कि प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर निशान साहिब का झंडा लगाया। ये सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसर में लगाया जाता है। बात तो सही है, निशान साहिब तो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने सिर पर बांधते हैं। लेकिन सवाल ये है दीप सिद्धू, जब तुम्हें तिरंगा दिया जा रहा था तब तुमने उसे क्यों फेक दिया। देश की ध्वजा का सम्मान कैसे किया जाता है ये क्या तुम्हें नहीं पता?
किसान नेता एवं स्वराज इंडिया पार्टी के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा, दीप सिद्धू और लखा सिधाना ने किसानों को भड़काने की कोशिश की। उन्होंने मांग की है कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि एक माइक्रोफोन के साथ दीप सिद्धू लाल किले तक कैसे पहुंच गया। यही आरोप किसान यूनियन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने भी लगाया, उन्होंने कहा, दीप सिद्धू ने किसानों को भड़काया और उन्हें मिसगाइड करके लाल किला ले गया।
ध्यान रहे दीप सिद्धू को किसानों ने इसके पहले भी गाली देकर अपने आंदोलन से भगाया है, सिद्धू की जितनी फोटो भाजपा नेताओं के साथ है उससे कहीं कम किसानों के साथ है। मांग बस इतनी है कि सच्चाई सामने लाई जाए, दीप सिद्धू की पिछले एक महीने की कॉल डिटेल बाहर निकाली जाए, उसे लोगों के सामने रखा जाए कि आखिर किससे उसने बात की। किसके इशारे पर वह किसानों को लेकर लाल किला पहुंच गया। कहीं सच में इसके पीछे भाजपा तो नहीं। ये सवाल जल्द साफ होगा।
source link: https://www.molitics.in/article/776/red-ford-flag-accident-deep-sidhu-bjp-leaders-connection
Comments
Post a Comment