पाकिस्तान द्वारा Balakot Airstrike में 300 लोगों के मरने की बात कबूलने की न्यूज निकली फेक, अब माफी मांगने में जुटी गोदी मीडिया

मेरा नाम राजेश है। इसलिए मुझे रमेश या रितेश न कहा जाए। मेरे ऐसा कहने से लोग मान जाएंगे लेकिन भारतीय मीडिया नहीं मानेगा। इसने अगर रितेश कह दिया तो अपना नाम रितेश ही मान लो। 10 जनवरी एक हवा उड़ी, हवा ये कि पाकिस्तान ने कबूल कर लिया कि सर्जिकल स्ट्राइक में उसके 300 लोग मारे गए। ये खबर जैसे ही सीमा पार करके भारत में पहुंची, देश की धीर-वीर गंभीर मीडिया ने लपक लिया। जितनी तेजी से लपका उतनी ही तेजी से उसे अबोध जनता की तरफ फेंक दिया गया।
सर्जिकल स्ट्राइक कबूलने की बात जैसे ही सामने आई भाजपा समर्थकों की तो निकल पड़ी। मोदी मोदी मोदी। मेरा मोदी मेरा अभिमान। ये सब चल ही रहा था कि कुछ फैक्ट चेकर्स ने जश्न मना रहे लोगों को जैसे पीछे से धप्पा मार दिया हो। एक झटके मेें सारी हवा फुस्स हो गई। दरअसल हुआ ये था कि समाचार एजेंसी एएनआई ने एक आर्टिकल लिखा, जिसमें उन्होंने दावा किया कि पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक जफर हिलाली ने 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक में 300 मौतों को स्वीकार किया है।
एएनआई ने इस खबर के साथ एक वीडियो क्लिप लगाई थी, जिसमें फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई। छेड़छाड़ की पुष्टि जफर हिलाली ने अपने ट्वीटर हैंडल पर वीडियो पोस्ट करके कर दी। अब चूंकि एएनआई भारतीय मीडिया इंडस्ट्री का अभिभावक है सो बाकी के चैनलों ने उसकी बात को सच मानकर दिखाना शुरु कर दिया। टीआरपी फ्रॉड करके नंबर बना रिपब्लिक भारत और बलात्कार की खबरों का स्वयं ही पोस्टमार्टम कर देने वाला दैनिक जागरण तो नाम में ही कन्फ्यूज हो गए। पाकिस्तानी मीडिया में जफर हिलाली नाम चल रहा था, लेकिन इन दोनो चैनलों ने आगा हिलाली बता दिया। अजब ये कि आगा हिलाली की आज से 19 साल पहले यानी 2001 में ही मौत हो चुकी है।
सवाल ये है कि जफर हिलाली ने कहा क्या था- दरअसल भारत द्वारा इजात किए गए सर्जिकल स्ट्राइक व एयर स्ट्राइक को लेकर उन्होंने कहा, ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। भारत का मकसद था कि एक मदरसा, जहां आपके अनुसार 300 बच्चे पढ़ रहे थे, उधर आकर स्ट्राइक करना था, इसका मतलब आपने 300 लोगों को मारने का इरादा रखा था, वो थे नहीं, वो गलत था, वो हुआ नहीं, तो इसलिए आपने एक फुटबाल फील्ड में जाकर बम फेंक दिया। ये बयान आने के बाद कुछ चैनलों का जमीर जागा, उन्होंने भूल सुधार लिखकर अपनी सफाई दे दी। लेकिन जिन्हें माफी की आदत हो उनसे कौन सा भारत पूछ रहा है भला।
ये तो है भारत की मीडिया। ऐसे ही थोड़े दुनिया में 142वें नंबर पर पहुंची है। भारत में आदमी भूखा मर जाए इन्हें खबर नहीं होगी, लेकिन पाकिस्तान में अंडा एक रुपया भी बढ़ जाए इनको लगता है कि अब तो पाकिस्तानी भूखा मरेगा। बड़ा सवाल तो ये भी है कि आखिर किसान आंदोलन के बीच ये मुद्दा उठा कैसे। मीडिया इस वक्त ये दिखाकर क्या हासिल करना चाहता है, क्या वह लोगों का ध्यान भंग करना चाहता है। इसका उत्तर जो आपका है वही मेरा है। विश्वनेता ने आदेश दिया है कि उनकी इमेज में कोई असर नहीं पड़ना चाहिए सो ये लगे हैं।
यह भी पढ़ें -
- BJP ने जिसकी फोटो लगाकर किया कृषि कानून का प्रचार, वह सिंघू बॉर्डर पर मौजूद, कहा- मैं किसानों के साथ
- भारत बंद : मोदी सरकार की तानाशाही पर किसानों का तमाचा? गोदी मीडिया भी हो गया फेल
Comments
Post a Comment