SC ने किसानों की समस्या का हल निकालने के लिए बनाई 4 सदस्य कमेटी, जानें-कौन हैं शामिल और क्या होंगे काम

केंद्र सरकार के द्वारा किसानों के हक के लिए तीन कृषि कानून लाए गए, जिनके विरोध में किसान लगातार दिल्ली की तमाम सीमाओं पर प्रर्दशन कर रहे हैं. किसान लगातार सरकार से इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार किसानों की मांग सुनने को तैयार नहीं है. सरकार कानूनों को किसान हितैषी बता रही है कह रही है कि आने वाले दिनों में किसानों को इस कानून से काफी फायदा होगा
जैसा कि आप जानते हैं किसान आंदोलन की ये आग विदेशों तक जा पहुंची और मोदी सरकार के इस कानून की निंदा की गई, लेकिन अपने अंहकार में डूबी मोदी सरकार ने किसी की नहीं सुनी ख़ैर किसानों की समस्या का हल निकालने के लिए बैठकों का दौर शुरू हुआ, अब तक सरकार और किसानों के बीच 9 दौर की बैठक हो चुकी हैं, इन बैठकों में सरकार किसानों की मांग मानने को तैयार नहीं है, वहीं किसान सरकार के इस अंहकार को तोड़ने की पूरी कोशिश कर रही हैं. इन बैठकों में किसानों की 4 समस्याओं में से 2 पर सरकार अपनी सहमति दे चुकी है.
जिसमें इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020, दूसरा पराली प्रदूषण के नाम पर किसानों से जो करोड़ों रुपये के जुर्माने का प्रावधान था, उसे वापस लेने के लिए तैयार हो गई. हालाकिं अब कृषि कानूनों को रद्द करना और एमएसपी को लीगल राइट बनाने के मामले पर पेंच फंसा हुआ है. जब समस्या का कोई हल नहीं निकला तो सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया
आपको बता दें कि देश की सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई थी और कहा कि किसानों की समस्या का हल निकालने के लिए सरकार जो रवैया अपना रही है वह निराशाजनक है. उसके बाद कोर्ट ने मंगलवार को अपना पूरा निर्णय सबके सामने रखा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्य समिति का गठन करने का फैसला लिया और कहा कि जमीनी हकीकत जानने के लिए इसका गठन जरूरी है. कोर्ट ने अगले आदेश तक तीनों कृषि कानून पर रोक भी लगा दी है.
कमेटी में कौन- कौन हैं शामिल
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कृषि कानूनों की समीक्षा करने के लिए बनाई गई कमेटी में 4 लोगों को शामिल किया गया है. जिसमें भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान हैं, यह यूनियन लगातार कृषि कानून का विरोध करता हुआ आया है. इसके साथ ही कमेटी में शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत को भी शामिल किया गया है, इस संगठन की शुरूआत शरद जोशी ने की थी, अनिल घनवंत ने बीते दिनों कहा था सरकार को किसानों से बात करके समस्या का हल निकालना चाहिए, लेकिन कानून को वापस लेने की जरूरत नहीं है. इन्हीं में से एक कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी भी है जिन्होंने कृषि कानूनों का समर्थन किया है, आपको बता दें कि अशोक गुलाटी 1991 से 2001 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार काउंसिल के सदस्य भी रह चूंके हैं वहीं अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी भी इस कमेटी में शामिल हैं. इन्होंने हाल ही में कहा था कि हमें MSP से परे नई मूल्य नीति पर विचार करने की जरूरत है.
कमेटी का काम क्या होगा?
आपको बता दें की सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि कमेटी कोई मध्यस्थता कराने का काम नहीं करेगी, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाएगी. आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमेटी दोनों पक्षों के से बात करेगी जो इसका समर्थन कर रहे हैं या जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं. किसान पहले ही कोर्ट में कमेटी बनाने के विरूध अपनी इच्छा जता चुके हैं.
ये तो आने वाला समय ही बता पाएगा कि किसानों के इस आंदोलन का क्या नतीजा निकलेगा और यह कमेटी किसके हक में फैसला सुनाएगी.
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