
सपा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से राज्यसभा में पूछा कि नेपाल और श्रीलंका में भारत से सस्ता पेट्रोल है, फिर यहां मंहगा क्यों। पेट्रोलियम मंत्री खड़े हुए उन्होंने कहा- बांग्लादेश व नेपाल में ₹57 से ₹59 रुपए प्रति लीटर केरोसीन मिलती है। भारत में केरोसीन की कीमत ₹32 प्रति लीटर है।
पिछले सात सालों से देश में यही हो रहा है, आप सवाल कुछ करेंगे जवाब कुछ मिलेगा। विरोध करेंगे तो देशविरोधी और विकासविरोधी बन जाएगें। आज कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड 63.57 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है। एक बैरल में 159 लीटर तेल आता है, एक डॉलर की कीमत आज 72.60 रुपए है। ऐसे में एक लीटर कच्चे तेल की कीमत 29 रुपए पड़ी। लेकिन आज देश के कई हिस्सों में पेट्रोल के दाम 90 से 100 के बीच में पहुंच गए हैं।
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आप कांग्रेस गवर्नमेंट पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि साल 2009 से 2014 के बीच कच्चे तेल के दाम 70 से 110 डॉलर के बीच रहे। लेकिन पेट्रोल के दाम 55 से 80 के बीच ही रहे। मतलब आज के मुकाबले कच्चे तेल के दाम दोगुना मंहगा था लेकिन दाम आज से करीब 20 रुपए प्रति लीटर सस्ता था। अब सवाल है कि ऐसा क्या हो गया जो बीच में इतनी मंहगाई आ गई।
पहले पेट्रोल के भाव हर 15 दिन पर तय होते थे, भाजपा के सत्ता में आने पर इस व्यवस्था को बदल दिया गया। इसके पीछे एक कारण ये भी है कि पेट्रोल अगर ५ रुपए मंहगा होता था तो हंगामा हो जाता था, सरकार ने होशियारी दिखाई और हर दिन सुबह रेट तय करने लगे। इससे होता ये है कि हर दिन 40-50 पैसे भाव बढ़ जाते हैं और लोगों को पता भी नहीं चलता। यही होशियारी करके मोदी सरकार ने पिछले एक साल में करीब 19 रुपए पेट्रोल व 17 रुपए प्रति लीटर डीजल मंहगा कर दिया।
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने पूछा, देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऑल-टाइम हाई हैं, जबकि क्रूड के दाम ऑल-टाइम हाई नहीं है, सरकार बताए कि एक्साइज ड्यूटी को कितनी बार बढ़ाया गया है। जवाब में धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि क्रूड ऑयल का प्राइस 61 डॉलर चल रहा है, हमें टैक्स के मसले पर बहुत ध्यान देने होते हैं। अजीब है, टैक्स के मसलों पर ध्यान देना है तो क्या सरकार के लोगों की निगाह उन चंद पूंजीपतियों पर नहीं गई जिनकी पूंजी में लॉकडाउन के दौरान 13 से 14 लाख करोड़ रुपए बढ़ गई। लेकिन उनपर क्यों ही ध्यान दिया जाएगा, वह तो सत्ता पर बैठे नरेंद्र मोदी जी के मित्र जो हैं।
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2014 में पेट्रोल पर जो टैक्स 11 रुपए प्रति लीटर था वह आज बढ़कर 30 रुपए से अधिक हो गया है। सरकारी कंपनियां बड़े स्तर पर निजी हाथों में सौंपी जा रही है, इससे सरकारी नौकरियों में भी कटौती हो रही है। सरकार ने अपने खजाने को भर लिया। और जनता के हितों सो सोचना बंद कर दिया। महंगाई कम करने का दावा करके सत्ता तक पहुंची भाजपा के शासनकाल में कोई भी चीज सस्ती नहीं हुई है। आम आदमी की इनकम भले न बढ़ी हो लेकिन उसके जेब पर भार जरूर बढ़ गया है। सरकार ने अंधभक्तों की इतनी बड़ी फौज खड़ी कर दी है कि आप कुछ बोलेंगे भी तो वह तपाक से बोल देंगे कि देशहित में तेल के दाम बढ़ाए जा रहे हैं। उनके कुतर्कों के आगे आपके तर्क पानी भरते नजर आएंगे। ये वक्त दर्शक बनकर देखते रहने का है।
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